मोदी सरकार ने कुछ नए नियम जारी किए हैं, जो आम यूजर्स के लिए हैं। मतलब अगर आप किसी का मोबाइल कनेक्शन Internet काटते हैं। या फिर डिजिटल इंफ्रॉस्ट्रक्चर को नुकसान पहुंचाते हैं, तो आपको भारी जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है। आइए जानते हैं सरकार के नए नियमों के बारे में..
मोदी सरकार हर यूजर्स तक Internet पहुंचाना चाहती है। इसके लिए मोदी सरकार हर गांव को Internet से जोड़ रही है। साथ ही हर पंचायत तक ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछा रही है। हालांकि सरकार इस डिजिटल सर्विस Internet को नुकसान पहुंचाने वालों को नरमी बरतने के मूड में नहीं है। मतलब आमतौर पर देखा जाता है कि भारत में आंदोलन को फायदा पहुंचाने के लिए सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जाता है, लेकिन अगर आप ऐसा करते हैं, आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है।
जाना होगा 3 साल जेल
केंद्र सरकार की तरफ से टेलिकॉम बिल 2023 में नए प्रावधान जोड़े हैं, जिसके मुताबिक अगर कोई व्यक्ति डिजिटल इंफ्रॉस्ट्रक्चर जैसे मोबाइल कनेक्शन Internet के तार और ऑप्टिकल फाइबर को काटता है, या फिर आंदोलन और दंगों के दौरान मोबाइल टॉवर को नुकसान पहुंचाकर Internet बाधित करता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। साथ ही दोष साबित होने पर जुर्माने के साथ 3 साल के लिए जेल भेजा जा सकता है। ऐसे में किसी भी सरकारी डिजिटल संपत्ति जैसे मोबाइल कनेक्शन Internet काटने या फिर उसमें तोड़फोड़ करने से बचना चाहिए। बता दें कि पंजाब में किसान आंदोलन के वक्त जियो के कई टॉवर को नुकसान पहुंचाया गया था, हालांकि अब ऐसा करने पर जेल जाना होगा।
सख्ती के मूड में सरकार
मोदी सरकार ने अब तक भारतनेट योजना के तहत 1.94 लाख गांवों को जोड़ा जा चुका है। इस योजना पर खर्च के लिए 1,39,579 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है। बीते कुछ सालों में मोदी सरकार ने डिजिटल इंफ्रॉस्ट्रक्चर को मजबूत करने की दिशा में काफी कदम उठाए हैं। इसके लिए ससंद ने बजट पारित करने में भी देरी नहीं की है।
सरकारी अधिकारियों का तर्क है कि सामग्री को प्रभावित करने वाले प्लेटफार्मों को स्वचालित रूप से कानूनी छूट का आनंद नहीं लेना चाहिए। इस प्रस्तावित परिवर्तन को Internet उद्योग से प्रतिरोध का सामना करने का अनुमान है, जिसके परिणामस्वरूप संभावित रूप से सामग्री सेंसरशिप बढ़ेगी और छोटी कंपनियों को उन्नत सामग्री निगरानी प्रौद्योगिकियों और विशेष टीमों में निवेश करने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
Internet सेक्या फर्क पड़ता है?
यह बदलाव, 2004 से चली आ रही लंबे समय से चली आ रही समझ को बदलकर, उस माहौल को नया आकार देगा जिसमें बड़ी तकनीकी कंपनियां भारत में काम करती हैं। जैसा कि टेक पॉलिसी फर्म द क्वांटम हब (टीक्यूएच) के संस्थापक भागीदार रोहित कुमार ने कहा है, कंपनियां अत्यधिक सतर्क हो सकती हैं और उन प्लेटफार्मों पर अपनी सेवाओं को संभावित रूप से कम या बंद कर सकती हैं
केंद्र सरकार की तरफ से टेलिकॉम बिल 2023 में नए प्रावधान जोड़े हैं, जिसके मुताबिक अगर कोई व्यक्ति डिजिटल इंफ्रॉस्ट्रक्चर जैसे मोबाइल कनेक्शन Internet के तार और ऑप्टिकल फाइबर को काटता है, या फिर आंदोलन और दंगों के दौरान मोबाइल टॉवर को नुकसान पहुंचाकर Internet बाधित करता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। साथ ही दोष साबित होने पर जुर्माने के साथ 3 साल के लिए जेल भेजा जा सकता है। ऐसे में किसी भी सरकारी डिजिटल संपत्ति जैसे मोबाइल कनेक्शन Internet काटने या फिर उसमें तोड़फोड़ करने से बचना चाहिए। बता दें कि पंजाब में किसान आंदोलन के वक्त जियो के कई टॉवर को नुकसान पहुंचाया गया था
जहां समस्याग्रस्त तृतीय-पक्ष सामग्री चिंता का विषय है। हालाँकि, भारत का उपभोक्ता बाजार 2027 तक दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बनने की ओर अग्रसर है, बड़ी तकनीकी कंपनियों पर नए विनियमन को अपनाने का दबाव बढ़ गया है।